मेरे बारे में .............

My photo
Bareilly, Uttar Pradesh, India
नाम: एम्. रबीअ 'बहार' सम्प्रति: शिक्षक (बेसिक शिक्षा विभाग, उ प्र.) पत्रकारिता व मल्टीमीडिया शिक्षक, स्वतन्त्र पत्रकारिता।

Friday, January 25, 2008

चंद क़तात -रबी बहार

मजनू होना भी मुश्किल है लैला भी आसान नहीं है/
प्यार में दीवाने होते थे वह दौर-ए-जीशान नहीं है/

प्यार भी अब तो सोच समझकर साजिश जैसा होता है /
लफ्ज़ -ए-मुहब्बत के मानों में पहले जैसी जान नहीं है /

अंदाज़-ए-अदावत भी जुदा लगता है /
ज़हर भी इस तरह देते हैं दवा लगता है/

अब मुहब्बत भी सियासत की तरह होती है/
बेवफा यार भी अब जान-ए-वफ़ा लगता है/


शम्स को आइना दिखाता हूँ/
बर्फ की मूरतें बनाता हूँ /

इससे मेरा है खून का रिश्ता /
मैं ग़ज़ल को लहू पिलाता हूँ/

फिक्र छोड़ दे प्यारे होगा जो भी होना है /

आदमी अजल से ही वक़्त का खिलोना है /

दोलतें अमीरों की हैं इन्हीं से बावस्ता /

जिनकी आसमान चादर और ज़मीं बिछौना है /

प्यार जब कर गया असर चुपचाप /

हो गयी सब को फिर खबर चुपचाप /

आइनों में शुमार है अपना /

हम भी कहते हैं सच मगर चुपचाप /

एक भी राज़ दोस्तों पे न खोल /

ये लगा देंगे एक सिफर चुपचाप /

रंग -ओ- निकहत गुलाब जैसी है /

उस की मस्ती शराब जैसी है /

जी में आता है चूम लूं उस को /

वो मुक़द्दस किताब जैसी है /

No comments: