इश्क की बेखुदी में ये क्या लिख गयी
आज काग़ज़ पे उनको खुदा लिख गयी
दिल के मंदिर में उस बुत को बैठा दिया
और दर पर उसे देवता लिख गयी
इश्क के सौदे में इक मुस्तकिल दर्द है
ऐसे घाटे को मैं फायदा लिख गयी
नाज़ लफ्जों में सूरत वो थी ढालना
लफ्ज़ खुशबू से बाद-ए-सबा लिख गयी
नाज़ बरेलवी
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