एक संजीदा तबियत को हँसाने के लिए
मुस्कुरा भी दो किसी के मुस्कुराने के लिए
आप खंज़र तोलिए गर्दन उडाने के लिए
दिल की रग-रग है परेशां खूँ बहाने के लिए
इत्तेफकन आ गयी थी मेरे होंठों पे हँसी
एक ज़माना चाहिऐ फिर मुस्कुराने के लिए
दोस्ती ही खूने नाहक के लिए काफी नहीं
आस्तीं भी चाहिऐ खंज़र छुपाने के लिए
दिल में गुनज़ायिश हो तो दुनिया सिमट आये मगर
दिल में गुन्ज़ायिश भी है ? दुनिया बसाने के लिए
दौर-ए-हाजिर में तो कुछ चेहरों पे शादाबी भी है
लोग तरसेंगे कभी खुशियाँ मनाने के लिए/
दिलकश आफरीदी बदायुनी
1 comment:
shukrya bhai
behadd khoobsurat gazal aapke zariye parhne ko mili.....
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