मुझ को उस की याद न आए ,नामुमकिन /
ज़ख्म-दिल यूं ही भर जाए, नामुमकिन/
पत्थर आइना बन जाए मुमकिन है/
उस की सख्त मिजाजी जाए, नामुमकिन /
ईसा की सूली,सुकरात के प्याले का /
खौफ मुझे हक से भटकाए, नामुमकिन/
टूटा दिल लेकर बाज़ार में आ बैठे /
कोई इस के दाम लगाए, नामुमकिन/
रबीअ बहार
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