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Bareilly, Uttar Pradesh, India
नाम: एम्. रबीअ 'बहार' सम्प्रति: शिक्षक (बेसिक शिक्षा विभाग, उ प्र.) पत्रकारिता व मल्टीमीडिया शिक्षक, स्वतन्त्र पत्रकारिता।

Sunday, May 13, 2012

प्यार की तितली के पीछे थे

शहर गए तो खो जाओगे /
बाबा शायद सच कहते थे/
तकिये से खुशबू आती है/
यादों के आंसू महके  थे/
दिल के खंडहर देते हैं गवाही /
इन महलों में तुम रहते थे /
प्यार की तितली के पीछे थे /
हम शायद छोटे बच्चे थे/


ज़ुल्फ़ बरहम मुर्तइश लब और निगाहें पुर खुमार/
कितने हरबों से बचाते हो गए उगाये उन का शिकार/
कौन कहता है वफ़ा के मिट गए नक्शो निगार/
दिल के वीराने में अब भी हैं वफाओं के मज़ार/
रबी बहार 

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