शहर गए तो खो जाओगे /
बाबा शायद सच कहते थे/
तकिये से खुशबू आती है/
यादों के आंसू महके थे/
दिल के खंडहर देते हैं गवाही /
इन महलों में तुम रहते थे /
प्यार की तितली के पीछे थे /
हम शायद छोटे बच्चे थे/
ज़ुल्फ़ बरहम मुर्तइश लब और निगाहें पुर खुमार/
कितने हरबों से बचाते हो गए उगाये उन का शिकार/
कौन कहता है वफ़ा के मिट गए नक्शो निगार/
दिल के वीराने में अब भी हैं वफाओं के मज़ार/
रबी बहार

तकिये से खुशबू आती है/
यादों के आंसू महके थे/
दिल के खंडहर देते हैं गवाही /
इन महलों में तुम रहते थे /
प्यार की तितली के पीछे थे /
हम शायद छोटे बच्चे थे/
ज़ुल्फ़ बरहम मुर्तइश लब और निगाहें पुर खुमार/
कितने हरबों से बचाते हो गए उगाये उन का शिकार/
कौन कहता है वफ़ा के मिट गए नक्शो निगार/
दिल के वीराने में अब भी हैं वफाओं के मज़ार/
रबी बहार
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