मेरे बारे में .............

My photo
Bareilly, Uttar Pradesh, India
नाम: एम्. रबीअ 'बहार' सम्प्रति: शिक्षक (बेसिक शिक्षा विभाग, उ प्र.) पत्रकारिता व मल्टीमीडिया शिक्षक, स्वतन्त्र पत्रकारिता।

Monday, May 14, 2012

दिलकश बदायूँनी की ग़ज़लें

1.
एक संजीदा तबियत को हँसाने के लिये,
मुस्कुरा भी दो किसी के मुस्कुराने के लिये।।
आप खँजर तोलिये, गर्दन उड़ाने के लिये,
दिल की रग-रग है परेशां ख़ूँ बहाने के लिये।।
इत्तफ़ाक़न आ गयी थी, मेरे होंटों पर हँसी,
इक ज़माना चाहिए फिर मुस्कुराने के लिये।।
दोस्ती ही, ख़ूने-नाहक़ के लिये काफ़ी नहीं,
आस्तीं भी चाहिए खँजर छुपाने के लिये।।
दिल में गुंजाइश हो तो दुनिया सिमट आये,
दिल में गुंजाइश भी है? दुनिया बसाने के लिये।।
दौरे-हाजि़र में तो कुछ चेहरों पे शादाबी भी है,
लोग तरसेंगे कभी, ख़ुशियाँ मनाने के लिये।।

2.
ज़ख़्म सब खिलने लगे, दिल ने दुखन महसूस की,
रूह ने सीने के अन्दर, इक घुटन महसूस की।।
फिर तुम्हारी यादों के काँटों ने लीं अँगड़ाइया,
फिर मेरे दिल ने कोई गहरी चुभन महसूस की।।
बामों-दर करती हुई रोशन मकाने-फि़क्र के,
दिल के आँगन में उतरती इक किरन महसूस की।।
हमने ज़ौके़-शायरी से मुन्सलिक हर वारदात,
इक उरूसे-शब, नवेली इक दुल्हन महसूस की।।
दो घड़ी को लब से लब, बाहों से बाहें मिल गयीं,
दो घड़ी को साँसों ने, साँसों की तपन महसूस की।।
रुक गये हम उनकी यादों के शजर की छाँव में,
इश्क़ के सहरा में ‘‘दिलकश’’ जब थकन महसूस की।।

No comments: