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Bareilly, Uttar Pradesh, India
नाम: एम्. रबीअ 'बहार' सम्प्रति: शिक्षक (बेसिक शिक्षा विभाग, उ प्र.) पत्रकारिता व मल्टीमीडिया शिक्षक, स्वतन्त्र पत्रकारिता।

Monday, October 30, 2017

सर्दी का मौसम और शायरी

#सर्दी_का_मौसम ग़ज़ल में मौसम का असर देखिये। कुछ खूबसूरत अशआर... तुम तो सर्दी की हसीं धूप का चेहरा हो जिसे  देखते रहते हैं दीवार से जाते हुए हम।। नोमान शौक़  सर्द रात अपनी नहीं कटती कभी तेरे बग़ैर  ऐसे मौसम में तो और आग लगाती है हवा।। शहज़ाद अंजुम  मौसम है सर्द-मेहर लहू है जमाव पर  चौपाल चुप है भीड़ लगी है अलाव पर।। अहसान दानिश  तिरे बुने हुए स्वेटर की धूप याद आई  तो और बाद-ए-ज़मिस्ताँ अकड़ अकड़ के चली।।  कहाँ हो आओ कि है सर्द शब का पहला पहर  ख़रीद लेते हैं मिल कर करारी मूंगफली।।  लिहाफ़ बाँटने वालो, हैं सर्दियाँ सब की  मुरारी-ला'ल हो जौज़फ़ हो या ग़ुलाम-अली।। मन्नान बिजनोरी  बर्फ़ गिरती है जिन इलाक़ों में  धूप के कारोबार चलते हैं।। हम तो सूरज हैं सर्द मुल्कों के  मूड होता है तब निकलते हैं।। सूर्य भानु गुप्त  सूरज लिहाफ़ ओढ़ के सोया तमाम रात  सर्दी से इक परिंदा दरीचे में मर गया।। अतहर नासिक  गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए  सर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया।। बेदिल हैदरी  अभी तो सर्दियों का दौर होगा  फ़ज़ा रोना था जितना रो चुकी है।। दिनेश नायडू ©संकलन:रबीअ बहार


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