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Bareilly, Uttar Pradesh, India
नाम: एम्. रबीअ 'बहार' सम्प्रति: शिक्षक (बेसिक शिक्षा विभाग, उ प्र.) पत्रकारिता व मल्टीमीडिया शिक्षक, स्वतन्त्र पत्रकारिता।

Thursday, November 9, 2017

नोटबन्दी_से_सम्बंधित


अपने हाकिम की फ़क़ीरी पे तरस आता है,
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे।।
राहत इन्दोरी

सलामत मेरा सरमाया कभी रहने नहीं पाता
न छीने वो तो कोई एक्स वाई छीन लेता है।।
कमाई छोटे अफ़सर भी किया करते हैं लाखों में
मगर सब से बड़ा अफ़सर कमाई छीन लेता है।।
ज़फर कमाली

ता-हद्द-ए-नज़र शोले ही शोले हैं चमन में
फूलों के निगहबान से कुछ भूल हुई है।।
जिस अहद में लुट जाए फ़क़ीरों की कमाई
उस अहद के सुल्तान से कुछ भूल हुई है।।
सागर सिद्दीकी

चोर अपने घरों में तो नहीं नक़्ब लगाते
अपनी ही कमाई को तो लूटा नहीं जाता।।
औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशी
और अपने गरेबान में झाँका नहीं जाता।।
मुज़फ्फर हनफ़ी
©संकलन: #रबीअ_बहार


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